मामला प्रबंध संकाय का कोर्स बीबीए ऑनर्स वाणिज्य में संचालित करने का
उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय में प्रबंध संकाय का कोर्स बीबीए ऑनर्स वाणिज्य संकाय के अधीन संचालित किया जा रहा हैं। प्रदेश के विश्वविद्यालय में दो वर्ष पूर्व नवीन और एकरुपता अध्यादेश लागू कर दिया गया। विवि के जिम्मेदारों ने अध्यादेश को अंगीकृत किया, लेकिन पूरी तरह से लागू नहीं किया। अध्यादेश के विरुद्ध संचालित हो रहे बीबीए ऑनर्स कोर्स का विषय जब प्रकाश में आया। तो अधिकारियों ने कार्रवाई की औपचारिकता शुरु कर दी। विवि प्रशासन बीबीए ऑनर्स कोर्स से संबंधित दस्तावेजों को खंगाल रहे। यह कोर्स कैसे शुरु हुआ और क्या नियम में जानकारी जुटाई जा रही हैं। इधर, प्रबंध अध्ययनशाला से जुड़े लोग सक्रिय हो गए। वह भी तरह-तरह के तर्क दे रहे है कि बीबीए ऑनर्स उनकी अध्ययनशाला में क्यों नहीं आ सकता। हालांकि उनके तर्क के संबंध में किसी के पास भी कोई दस्तावेज नहीं हैं। इधर, अध्यादेश में स्पष्ट है कि बीबीए ऑनर्स प्रबंध संकाय का कोर्स है। वह उसी के अधीन संचालित होगा।
नए सत्र में भी वाणिज्य संकाय में दिखाया
विवि प्रशासन ने वर्ष 2020 सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरु की। इसकी सूचना में बीबीए ऑनर्स को वाणिज्य संकाय के अधीन दिखाया गया। यह पूरी तरह से अध्यादेश का उल्लंघन हैं। इस विषय को पूर्व में लगातार प्रकाशित किया गया। इसमें नवीन अध्यादेश का उल्लंघन और नवीन अध्यादेश के अनुसार एमए जनसंचार को हिंदी अध्ययनशाला में भेजने की बात शामिल थी, लेकिन विवि के जिम्मेदार स्पष्ट नहीं करना चाह रहे है कि नियम क्या हैं और सही क्या।
मौन हुए विवि के जिम्मेदार
प्रदेश में कभी सिरमौर होने वाला विक्रम विश्वविद्यालय अब अपनी ख्याती को खोता जा रहा हैं। इसके पीछे पूरी तरह से विवि के जिम्मेदार और अधिकारी हैं। विवि के शिक्षक किसी भी प्रकार से कोई काम नहीं करना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने यूजीसी के सातवे वेतनमान से कम वेतन पंसद नहीं हैं। जबकि इनके पास यूजीसी के नियमानुसार पर्याप्त काम भी नहीं है। बीबीए ऑनर्स कोर्स के संबंध में जब विवि के अधिकारियों से जानकारी मांगी। तो उन्होंने नियमों को दिखवाने के बाद जानकारी देने की बात कहीं। इसी के साथ कुछ जिम्मेदारों एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ना भी शुरु कर दिया।