उज्जैन. प्रदेश के विश्वविद्यालयों के करीब 17 लाख विद्यार्थियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने परीक्षा से मुक्त करते हुए जनरल प्रमोशन दिए जाने की घोषणा की। सरकार के इस आदेश पर एबीवीपी ने आपत्ति जताई हैं। एबीवीपी का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिला और जनरल प्रमोशन के नियमों में बदलाव की मांग की। इधर, एनएसयूआई जनरल प्रमोशन की मांग कर रही थी। वह सरकार के फैसले का स्वागत कर रही हैं। इन दोनों संगठन से अलग विश्वविद्यालय के कुलपति उलझन में हैं। दरअसल, सरकार ने जनरल प्रमोशन लागू कर दिया है, लेकिन अध्यादेश में ऐसा कोई उल्लेख नहीं हैं। ऐसे में इसे लागू करने की वैधानिक प्रक्रिया पर विचार चल रहा हैं।
क्या हो सकता है आगे
सरकार ने जनरल प्रमोशन का जो नियम लागू किया हैं। इस प्रक्रिया के लिए अध्यादेश में बदलाव किया जाएगा। सरकार एक सूचना जारी करेगी। जिसे विवि समन्वय समिति स्वीकार करेगी। इस सूचना को सभी विवि कार्यपरिषद की अनुमति से अध्यादेश में जोड़ेगे और इसी के आधार पर रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
यूजीसी कर रही है विचार
परीक्षा और जनरल प्रमोशन को लेकर यूजीसी अभी तक अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंची है। यूजीसी अभी भी विचार कर रही है कि जनलर प्रमोशन दिया जाए। तो कैसे और इसके नियम क्या हो। साथ ही नया सत्र कर से शुरु किया जाए। हालांकि सत्र के संबंध में अब स्थिति स्पष्ट है कि वह सितम्बर के बाद ही जाएगा।
जनरल प्रमोशन पर एबीवीपी को आपत्ति, अध्यादेश की उलझन में कुलपति